अरमान था जिस ख्वाब का
मुझे अरमान था जिस ख्वाब का
वो हमको मिला ही नही
चाहत बेपनाह थी
उसको पाने की
वो हमको मिला ही नही
चाहत बेपनाह थी
उसको पाने की
उम्मीदों से ऊपर भी गया
सोच कर उसे पाने को
हर पहलु इबादत की
उसको पाने की
सोच कर उसे पाने को
हर पहलु इबादत की
उसको पाने की
निशा गुजरते भोर तक
हर ख्वाब उसका ही था
दिन निकले तरस गए
उसको पाने को
हर ख्वाब उसका ही था
दिन निकले तरस गए
उसको पाने को
ASHOK TRIVEDI {GYANESH}
26/08/2019
26/08/2019
Comments