उसका दिल

उसका दिल घर था मेरे ख्वाबों का
दिया जला था प्यार का कोने में
मेरी चाहत को यकीन था उस पर
वो मेरा ही है पराया घर का होकर
उस दिल में क्या राज थे क्या जानें
वो क्या बोलते थे क्या उनके दिल में था
बरसों की कहानी थी या तनहाई
या समय था उनको बिताना तनहाई का
आज बरसों बाद अपना समझा हो उसने
लगता तो था वो आज भी मेरे ही हैं
अरे कोंन था मेरा ? न आज न कल
आज आ ही गया फिर जुदाई का पल
अशोक त्रिवेदी (ज्ञानेश)
23/08/2019

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