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Showing posts from December, 2017

प्यार कितना है

प्यार कितना है  कभी तू भी तो समझ के देख ,प्यार कितना है, गहराई है, पर अनंत है ,कभी भाँप के  तो देख  समंदर हूँ फिर भी प्यासा हूँ  पसरी सूखी रेत किनारे पर है  अश्कों की अठखेलियाँ रोज मैं देखता कभी तू भी तो घटा बन के छाजा तू भी तो समझ के देख ,प्यार कितना है, गहराई है, पर अनंत है ,कभी नाप के तो देख  ASHOK TRIVEDI

वो सपना

वो सपना   काश वो सपना ऐंसा होता , उसे भी पता होता  कौन  जागा रातों में, कौन जागा सपनों में इनायत ये बरसी होती , काश वो साथ होती न पर्दा इश्क़ का करती , न जाया ये वक़्त होता कितनी है जिन्दगी ? पल बीते जाये  वक़्त न जाने कल सोच के भी रोये  अनजान कल भी था ,अनजान आज भी हूँ  जिन्दगी यूँ ही सिमटती रेत सी ,फिसलती  सपना देखा उनको अपना मानकर लेकिन भूल थी ,मेरी उसे अपना जानकर काश वो सपना ऐंसा होता , उसे भी पता होता  कौन  जागा रातों में, कौन जागा सपनों में इनायत ये बरसी होती , काश वो साथ होती न पर्दा इश्क़ का करती , न जाया ये वक़्त होता अशोक त्रिवेदी  १२/१६/२०१७                                                      www.kundaliya.blogspot.in the new morning