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फ्रेंडशिप

A short story -friendship by ashok trivedi https://kundaliya.blogspot.in               फ्रेंडशिप   दोस्ती दिल से होती है l किन्तु कुछ इस नाजुक दिल से खेलने वाले, जो खुद को इस खेल का माहिर खिलाडी समझते हैं; उनका भी इन्साफ होता है, और इसी दुनिया मैं रहकर कोई परलोक मैं नहीं l ``किसी के जज्बातों से मत खेलो किसी को कुछ देना चाहो तो रिस्पेक्ट दो ख़ुशी दो आप खुद को अंदर से गौरवान्वित महसूस करेंगे``!   अशोक त्रिवेदी , पहाड़ शब्द सुनते ही अक्सर सबके मन मैं एक अलग सी धारणा आ जाती है l पहाड़ मै अनेकों मुशीबतें हैं, किन्तु पहाड़ी जीवन शैली जितनी कठिन प्रतीत होती है, उतनी ही मधुर भी है l एक बार अवश्य मेरे  पहाड़ो (उत्तराखंड) मैं आकर देखिये आप अपने दुःख बीमारियों को हमेशा के लिए भूल जायेंगे खुद को तरोताजा महसूस करोगे और इस कुदरत (प्रकृति) को करीब से समझ सकोगे l बांज बुरांस की जड़ो का ठंडा पानी आपको तृप्त कर देगा , सांस लोगे तो आपका दिल भी इस हवा का दीवाना हो जायेगा l जब आप खाना खाओगे तो मिट्टी से निर्मित चूल्हे मैं बना खाना जरूर ख

तृष्णा (अशोक त्रिवेदी)

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तृष्णा एक छोटी सी चिड़िया उड़ती दूर-दूर ,कभी पूरब-पच्छिम कभी उत्तर-दक्षिण सुबह से  लेके शाम तक पंखो को फैलाये उड़ती दूर गगन के छोर तक कभी झुण्ड मैं चहचहाती,सरोवर मैं ये नहलाती दूर-दूर उड़ती रहती तृण-तृण ये संचित करती एक छोटी सी चिड़िया उड़ती दूर-दूर ,कभी पूरब-पच्छिम कभी उत्तर-दक्षिण सुबह से  लेके शाम तक पंखो को फैलाये उड़ती दूर गगन के छोर तक डाल-डाल पे चहचहाती कितना सुन्दर गीत ये गाती इनकी बोली इनकी भाषा काश कभी हमको समझ आती   एक छोटी सी चिड़िया उड़ती दूर-दूर ,कभी पूरब-पच्छिम कभी उत्तर-दक्षिण सुबह से  लेके शाम तक पंखो को फैलाये उड़ती दूर गगन के छोर तक सर्दी हो या गर्मी हो अंधड़ हो या आंधी  हो कितने दुःख ये सहती है लेकिन फिर भी चुप ये रहती है ,लेकिन फिर भी चुप ये रहती है अशोक त्रिवेदी