प्यार कितना है

प्यार कितना है 





कभी तू भी तो समझ के देख ,प्यार कितना है,
गहराई है, पर अनंत है ,कभी भाँप के  तो देख 

समंदर हूँ फिर भी प्यासा हूँ 
पसरी सूखी रेत किनारे पर है 

अश्कों की अठखेलियाँ रोज मैं देखता
कभी तू भी तो घटा बन के छाजा

तू भी तो समझ के देख ,प्यार कितना है,
गहराई है, पर अनंत है ,कभी नाप के तो देख 


ASHOK TRIVEDI

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