तिमिर
तिमिर है तिलमिलाया ,मेरे प्रियतम के आने से
रोशनी है खिलखिलाई ,तारों को साथ लेके
चाँद भी चमकीला हैं , धरा ये दूध से नहाई है
सरसराती पवन ये , मंद सुगंध को साथ लिए
बरसों बाद आया आज ,तीज ये त्यौहार है
मिलन की इस घडी मैं ,देखो क्या बहार है
कल तक दुनिया सूनी थी ,आज सजी है
सोयी किस्मत थी कल तक, आज जगी है
तिमिर है तिलमिलाया ,मेरे प्रियतम के आने से
रोशनी है खिलखिलाई ,तारों को साथ लेके
चाँद भी चमकीला हैं , धरा ये दूध से नहाई है
सरसराती पवन ये , मंद सुगंध को साथ लिए
लिख दूँ तुझे चंद पन्नों की लाइनों मैं
सँवार लूँ जी भर के आज,निहार लूँ
घड़ी ये मिलन की, शायद कल न हो
दुनिया रहम हीन है ,छीन लेगी मुझसे
तिमिर है तिलमिलाया ,मेरे प्रियतम के आने से
रोशनी है खिलखिलाई ,तारों को साथ लेके
चाँद भी चमकीला हैं , धरा ये दूध से नहाई है
सरसराती पवन ये , मंद सुगंध को साथ लिए
सरसराती पवन ये , मंद सुगंध को साथ लिए
अशोक त्रिवेदी
१७.११.२०१७
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