नियति


नियति 




मैं तन हूँ मुझे मिलना माटी है
अहम् अहंकार राग द्वेष खाली है
व्यर्थ है कल की चिंता
उम्र तो नाटी है
                              मैं तो तन हूँ मुझे मिलना माटी है
                              मैं तो पंचतत्व का मैल हूँ
                              मेरी गिनती इंसानों मैं
                              बस कुछ बरसों की
मैं तो तन हूँ मुझे मिलना माटी है
सरल मेरी नही रचना
परमात्मा से मेरी मित्रता
बस कुछ बरसों की
मैं तो तन हूँ मुझे मिलना माटी है
प्राण विहीन है धरा पर पड़ा
पास रोती एक नार
बस इतना ही है मेरा संसार  





ASHOK TRIVEDI
15.10.2017

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