[ अथ श्री नरसिंह चालीसा ] मास वैशाख कृतिका युत हरण मही को भार । शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन लियो नरसिंह अवतार ।। धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम । तुमरे सुमरन से प्रभु , पूरन हो सब काम ।। नरसिंह देव में सुमरों तोहि , धन बल विद्या दान दे मोहि ।।1।। जय जय नरसिंह कृपाला करो सदा भक्तन प्रतिपाला ।।२ ।। विष्णु के अवतार दयाला महाकाल कालन को काला ।।३ ।। नाम अनेक तुम्हारो बखानो अल्प बुद्धि में ना कछु जानों ।।४।। हिरणाकुश नृप अति अभिमानी तेहि के भार मही अकुलानी ।।५।। हिरणाकुश कयाधू के जाये नाम भक्त प्रहलाद कहाये ।।६।। भक्त बना बिष्णु को दासा पिता कियो मारन परसाया ।।७।। अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा अग्निदाह कियो प्रचंडा ।।८।। भक्त हेतु तुम लियो अवतारा दुष्ट-दलन हरण महिभारा ।।९।। तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे प्रह्लाद के प्राण पियारे ।।१०।। प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा देख दुष्ट-दल भये अचंभा ।।११।। खड्ग ...
रुक के भी पीछे देखा होता नुक्कड़ के उस मोड़ से आज भी बिछाएं हैं पलकें बस तेरा ही इन्तजार है । ओझल नजरों के दामन से तेरा वो सिसक के जाना याद भी है तुझको वो तेरा सिर झुका के जाना बस तेरा ही इंतजार है आखिरी इस सांस को रहमत को इबादत करता भोर से बस सांझ तक
एहसास होता है ? उस आहट का कभी जिस आवाज को सुनने की तलब थी तुझे जिस साँस को तू अपनी साँस कहती थी जिस जान को अपनी जान कहती थी कभी याद है ना अपना वादा या फिर भूल गयी मेरा है मेरा ही रहेगा यही तो शब्द थे ना वो तू मेरी सुबह तू ही शाम तू मेरा हर पल यही तो कहा था यही वादा था याद है ना क्या हुआ था ऐंसा ? जो तोड़ दी ये डोर तू ही तो कहती थी कुछ भी हो तू मेरा है कितनी भी मुश्किल घड़ियां हो साथ देना फिर क्या हुआ ? वो शब्द थे जो खो गये ? ASHOK TRIVEDI . 28/08/2019
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