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याद भी है

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रुक के भी पीछे देखा होता  नुक्कड़ के  उस मोड़ से  आज भी बिछाएं हैं पलकें  बस तेरा ही इन्तजार है । ओझल नजरों के दामन से  तेरा वो सिसक के जाना  याद भी है तुझको  वो तेरा सिर झुका के जाना बस तेरा ही इंतजार है  आखिरी इस सांस को  रहमत को इबादत करता  भोर से बस सांझ तक