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विष्णु शहत्रनाम

ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः । भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। 1 ।। पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः। अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। 2 ।। योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः । नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। 3 ।। सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः । संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभु: ईश्वरः ।। 4 ।। स्वयंभूः शम्भु: आदित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः । अनादि-निधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः ।। 5 ।। अप्रमेयो हृषीकेशः पद्मनाभो-अमरप्रभुः । विश्वकर्मा मनुस्त्वष्टा स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः ।। 6 ।। अग्राह्यः शाश्वतः कृष्णो लोहिताक्षः प्रतर्दनः । प्रभूतः त्रिककुब-धाम पवित्रं मंगलं परं ।। 7।। ईशानः प्राणदः प्राणो ज्येष्ठः श्रेष्ठः प्रजापतिः । हिरण्य-गर्भो भू-गर्भो माधवो मधुसूदनः ।। 8 ।। ईश्वरो विक्रमी धन्वी मेधावी विक्रमः क्रमः । अनुत्तमो दुराधर्षः कृतज्ञः कृति: आत्मवान ।। 9 ।। सुरेशः शरणं शर्म विश्व-रेताः प्रजा-भवः । अहः संवत्सरो व्यालः प्रत्ययः सर्वदर्शनः ।। 10 ।। अजः सर्वेश्वरः सिद्धः सिद्धिः सर्वादि: अच्युतः । ...

सुकर्म sukarm kahani ek bujurug dampati ki

सुकर्म कहानी एक बुजुर्ग दम्पति की कहानी आज कल की पारिवारिक जीवन शैली पर आधारित है, इस कहानी का किसी व्यक्ति विशेष से किसी भी प्रकार से कोई सम्बन्ध नहीं है l  कुछ समय पहले की बात है शक्ति अपने गाँव से नौकरी करने शहर चला गया जहां जाकर वो किसी कंपनी मैं नौकरी करने लगा सैलरी भी उसकी शैक्षणिक योग्यतानुसार थी l उसने अपनी पहली सैलरी से घर मैं अपने माता-पिता के लिए मोबाइल फ़ोन खरीदा तथा दो दिन की छुट्टी लेकर गाँव आ गया शक्ति अपने माता-पिता को बहुत चाहता था गाँव मैं भी सभी शक्ति को चाहते थे दो दिन की छुट्टी पूरी होने के बाद शक्ति वापस शहर चला गया काफी समय हो गया शक्ति गाँव नहीं गया किन्तु फ़ोन से अपने माता-पिता से संपर्क मैं था l          गाँव मैं भी शक्ति की काफी चर्चा थी की अच्छी नौकरी मैं लग गया है अपने माँ-बाप का भी अच्छा ध्यान रखता है समय-समय पर उनको बैंक से पैंसे भेजते रहता है ; एक बूढ़े माँ-बाप को और क्या चाहिए था, वे काफी खुश थे l ऐंसे होते-होते तीन साल बीत गये लेकिन अब लड़के के तेवर कुछ बदले-बदले लगने लगे वो पहले से भी कम पैंसे घर...